इमरजेंसी फंड आपकी आर्थिक सुरक्षा का पहला कदम है। चाहे नौकरी चली जाए, मेडिकल इमरजेंसी हो, या अचानक कोई खर्च आ जाए – यह फंड आपको बिना कर्ज के हालात संभालने में मदद करता है।
क्यों जरूरी है इमरजेंसी फंड?
- अप्रत्याशित खर्च से बचाव – मेडिकल इमरजेंसी, घर की रिपेयर, या वाहन खराब होना।
- बिना कर्ज समाधान – लोन या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं।
- मानसिक शांति – यह जानकर कि जरूरत पड़ने पर पैसे मौजूद हैं।
कितना होना चाहिए इमरजेंसी फंड में?
आमतौर पर 3 से 6 महीने के मासिक खर्च जितनी राशि। अगर आपका मासिक खर्च ₹30,000 है, तो कम से कम ₹90,000 से ₹1,80,000 तक होना चाहिए।
कैसे शुरू करें?
- छोटे लक्ष्य तय करें – शुरुआत में ₹5,000 या ₹10,000 जमा करने का टारगेट।
- अलग खाता खोलें – ताकि यह पैसा रोजमर्रा के खर्च में न निकले।
- ऑटोमैटिक सेविंग सेट करें – हर महीने सैलरी से तय राशि सीधे सेविंग अकाउंट में जाए।
- अनावश्यक खर्च कम करें – फालतू सब्सक्रिप्शन, बाहर खाने या शॉपिंग को सीमित करें।
कहां रखें इमरजेंसी फंड?
- हाई-इंटरेस्ट सेविंग अकाउंट
- फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)
- लिक्विड म्यूचुअल फंड
गलतियों से बचें
- शेयर मार्केट या हाई रिस्क निवेश में न लगाएं।
- इमरजेंसी फंड को यात्रा या लक्जरी खरीद के लिए इस्तेमाल न करें।
निष्कर्ष
इमरजेंसी फंड कोई विलासिता नहीं, बल्कि जीवन का एक जरूरी सुरक्षा कवच है। आज ही शुरुआत करें और हर महीने थोड़ा-थोड़ा जोड़ते जाएं।