अगर आपको लगता है कि आपकी सैलरी खत्म हो जाती है लेकिन समझ नहीं आता कहाँ, तो शायद आपको खर्चों की कैटेगरी समझनी होगी — फिक्स्ड और वेरिएबल।
1. फिक्स्ड खर्च क्या हैं?
ये वो खर्च होते हैं जो हर महीने तय होते हैं और ज़्यादातर नहीं बदलते:
- मकान का किराया
- बच्चों की स्कूल फीस
- EMI (लोन/क्रेडिट कार्ड)
- मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम
2. वेरिएबल खर्च क्या हैं?
ये वो खर्च हैं जो हर महीने अलग-अलग हो सकते हैं:
- राशन और सब्ज़ी
- बिजली, पानी, गैस बिल
- पेट्रोल या डीज़ल
- मोबाइल/डाटा रिचार्ज
- मनोरंजन और बाहर खाना
3. बचत कैसे करें?
- वेरिएबल खर्चों पर ध्यान दें — कहां कटौती हो सकती है।
- किराने की लिस्ट बनाकर शॉपिंग करें, impulsive खर्च से बचें।
- बिजली, पानी की बचत से भी काफी मदद मिलती है।
4. बजट बनाते समय दोनों को अलग-अलग रखें
अपने खर्चों को दो कॉलम में बांटे: फिक्स्ड और वेरिएबल। इससे आप बेहतर अनुमान लगा पाएंगे कि कहाँ बदलाव किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
फिक्स्ड खर्चों को कंट्रोल करना मुश्किल है, लेकिन वेरिएबल खर्चों को समझदारी से मैनेज करके आप हर महीने ₹2000–₹5000 तक की बचत कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q. Fixed खर्चों में क्या-क्या आता है?A. जैसे किराया, EMI, स्कूल फीस इत्यादि जो हर महीने एक जैसे होते हैं।
Q. Variable खर्चों को कैसे कंट्रोल करें?
A. Budget बनाकर, सीमित खर्च और जरूरत के हिसाब से प्लानिंग करें।